
तुम नहीं आये थे जब, तब भी तो तुम आये थे, रात के सीने में महताब के ख़ंजर की तरह, सुब्ह के हाथ में ख़ुर्शीद के साग़र की तरह, शाखे़-ख़ूँ, रंगे-तमन्ना …
अली सरदार जाफ़री
तुम नहीं आये थे जब, तब भी तो तुम आये थे, रात के सीने में महताब के ख़ंजर की तरह, सुब्ह के हाथ में ख़ुर्शीद के साग़र की तरह, शाखे़-ख़ूँ, रंगे-तमन्ना …
अली सरदार जाफ़री
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